हम एक जीवन की कल्पना करते है
फिर उस परिकल्पना में रंग भरते है
कुछ छोटी कुछ बड़ी आशाएं,
कुछ यादें, कुछ बातें, लम्हों कि सौगातें
कुछ आकांक्षायें पहलू में समेट लेते है
कुछ बस एक काश में ही सिमट जाते है
कुछ जिरह, कुछ विरह, कुछ जद्दोजेहद
सब मिल कर स्याह बनकर
कोरे पन्नों पर कुछ लिखना चाहते है,
किरदार सजते है, कुछ किस्से संवरते है
कुछ दाग बनकर वहीं रह जाते है।
हम खुशियां समेटते है सन्नाटे छाटते है
चलते है, भागते है, हांफते है,
थक कर दहलीज पर बैठ जाते है
सांस लेने की कवायद करते है, लड़ते है
एक उम्मीद लिए आसमां में तैरते है
एक तिनका पकड़ते है चांद पर बैठ जाते है
कभी बादलों से उलझकर गिर जाते है
और सागर की गहराइयों में खो जाते है
उस शून्य में रंग सारे सफेद हो जाते है
पीछे बचती है एक लकीर
काले स्याह रंग की, अंधकार समेटे
जो जमीं को आसमां से जोड़ती है
यादों की बारिश उस लकीर को सिंचती है
कुछ टहनियों को जन्म देती है
जो एक आखरी सफर को छाव देते है
हम चलते जाते है, अकेले उस सफर पर
और कल्पनाएं, जिनमें कुछ रंग भरे थे
फूल बनकर बिखरते जाते है
कांटे जो पावों में छुपे थे, चुभे थे
सब एक एक करके सुलझते जाते है
और हम उस आखिरी छोर पर मौजूद
इस शून्य की कैद से निकलकर
एक बड़े शून्य में आजाद हो जाते है।
फिर उस परिकल्पना में रंग भरते है
कुछ छोटी कुछ बड़ी आशाएं,
कुछ यादें, कुछ बातें, लम्हों कि सौगातें
कुछ आकांक्षायें पहलू में समेट लेते है
कुछ बस एक काश में ही सिमट जाते है
कुछ जिरह, कुछ विरह, कुछ जद्दोजेहद
सब मिल कर स्याह बनकर
कोरे पन्नों पर कुछ लिखना चाहते है,
किरदार सजते है, कुछ किस्से संवरते है
कुछ दाग बनकर वहीं रह जाते है।
हम खुशियां समेटते है सन्नाटे छाटते है
चलते है, भागते है, हांफते है,
थक कर दहलीज पर बैठ जाते है
सांस लेने की कवायद करते है, लड़ते है
एक उम्मीद लिए आसमां में तैरते है
एक तिनका पकड़ते है चांद पर बैठ जाते है
कभी बादलों से उलझकर गिर जाते है
और सागर की गहराइयों में खो जाते है
उस शून्य में रंग सारे सफेद हो जाते है
पीछे बचती है एक लकीर
काले स्याह रंग की, अंधकार समेटे
जो जमीं को आसमां से जोड़ती है
यादों की बारिश उस लकीर को सिंचती है
कुछ टहनियों को जन्म देती है
जो एक आखरी सफर को छाव देते है
हम चलते जाते है, अकेले उस सफर पर
और कल्पनाएं, जिनमें कुछ रंग भरे थे
फूल बनकर बिखरते जाते है
कांटे जो पावों में छुपे थे, चुभे थे
सब एक एक करके सुलझते जाते है
और हम उस आखिरी छोर पर मौजूद
इस शून्य की कैद से निकलकर
एक बड़े शून्य में आजाद हो जाते है।
©
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ReplyDeleteBeautifully written!
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