Skip to main content

एक चिट्ठी अज़ीज़ दोस्त के नाम

मेरे अज़ीज़ दोस्त, मेरे हमकदम, मेरे राजदां।
कहते है कि खुदा ने अपनी कमी हर जगह पूरी करने के लिए रिश्तों को बनाया उन्हें हर रंग से सजाया, और इन सभी रिश्तों में दोस्ती को सबसे ख़ास बनाया, इतना ख़ास कि खुद भगवान भी इसे अपने सबसे करीब रखा, फिर चाहे वो राधा रानी हो या फिर सुदामा।
खैर मैं अपने आप की तुलना भगवान से तो भूल कर भी नहीं कर सकता, लेकिन मेरे लिए भी दोस्ती का रंग रूप वही है जो उनके लिए था। इस पाक रिश्ते के मायने वही है, इनमें बसा प्यार और एहसास वही है जो भगवान ने राधा और सुदामा में देखा था।

तुम सोच रहे होगे हम तो रोज़ ही मिलते और बातें करते है तो फिर ये चिट्ठी तुम्हारे नाम क्यों। चिट्ठियों का भी अपना एक अलग एहसास और मर्म है, जो शायद बातें भी बयां नहीं कर सकती, और फिर ये चिट्ठी हर उन पलों के लिए है जब शायद, शायद किसी वजह से मैं तुम्हारे पास नहीं पहुंच पाऊ, और हर उन पलों में जब तुम मुझे याद करना चाहो अपने पहलू में अपने अंदाज में। ये चिट्ठी हमारे एहसासों को हमारे अंदर हमेशा जिंदा रखेगा, उस उम्मीद को जिंदा रखेगा की तुम्हारे लिए एक रूह हमेशा तुम्हारे पीछे खड़ा है तुम्हें ऊंचा उठाए रखने के लिए, तुम्हारी हर मुश्किल को हल करने के लिए और तुम्हारे हर कांटों को गुलों में बदलने के लिए।

दोस्ती सही मायने में क्या है, इसका स्वरूप क्या है इसे मैं क्या कोई भी नहीं बता सकता, लेकिन फिर भी हर कोई इसे अपने रंग रूप और अंदाज़ में जीता है। जिस रूप में हमें जरूरत है दोस्ती हर उस रूप में हमारे आसपास होती है। इसका आगाज़, अंदाज़ और अंज़ाम बिल्कुल जुदा होता है, हमारी कल्पनाएं इसे आधार देती है, रूप देती है और रूह देती है। हर रिश्ते में कहीं ना कहीं दोस्ती छुपी होती है, और अगर रिश्तों को दोस्ती के नज़रिए से देखा, परखा और संभाला जाए तो वो ज़िन्दगी भर का साथ देती है।

किसी ने खूब कहा है कि दोस्ती वो हसीन कोरी किताब है जिसे आप अपने हिसाब से भर सकते है, अपनी कहानियां लिख सकते है, और हर नई कहानी के साथ ये आपको ऊंचा उठाता जाता है आपको महान बनाता जाता है, महान उस स्वरूप में कि ये आपके हर रास्ते को अलग रंग देता है और उन रंगों से आप अपनी हर कहानी स्वर्णिम अक्षरों में लिखते है, उन्हें प्यार से सजाते है उन्हें अपनी कुर्बतों में संभाल के रखते है। महान इसलिए भी की ये दोस्ती आपको हर रिश्ते हर पहलू हर मुश्किल हर खुशी हर गम को  समझने, साझा करने और जीने का नया अंदाज़ सिखाती है उन्हें देखने का एक नया नज़रिया देती है।

ऐसा कहना शायद गलत होगा कि दोस्ती के बिना जिन्दगी की कल्पना भी मुश्किल है, हां लेकिन अगर दोस्ती उसके एहसास उसकी मोहब्बत और उसके साथ को जीवन से निकाल दिया जाए तो फिर ज़िन्दगी नीरस हो जाती है, अपना मर्म खो देती है, वो स्वरूप ज़िन्दगी का जिसे मैं और तुम पढ़ते और देखते आए है वो रूप बिखर जाता है, वो अंदाज़ जिसके लिए लोग ज़िंदा है वो अंदाज़ नहीं रहता और ज़िन्दगी सिर्फ एक लाश सी बन जाती है।

अपनी दोस्ती का एहसास भी कुछ ऐसा ही है, ये हमें जीने की राह दिखाता है, हमें हमसा बनाता है, हमें अपने किस्से और कहानियों के लिए अल्फ़ाज़ देता है, हमारे ज़िन्दगी के सुरों को आवाज़ देता है, हमारी तन्हाइयों को एक साथ देता है और हमारी रूहों को उनके होने का एहसास देता है। और मैं इस बात को अपने दिल की गहराइयों से कह सकता हूं कि ये शिद्दत, एहसास और अपने दिलों को जोड़ती भरोसे और विश्वास की ये डोर हमेशा ऐसे ही बनी रहेगी और दिन-ब-दिन नए आयामों को छूती रहेगी और हमें हमारी मंजिलों तक राह दिखाती रहेगी।

हमारे सफ़र भले अलग अलग हो, पर हमारी कहानियां, हमारे दायरे, हमारी बीते दिनों की निशानियां, हमारी बेचैनियां, हमारी सोच के कुछ रास्ते और हमारे ख्वाबों के कुछ कारवां लगभग एक से ही है। ये सभी कहीं ना कहीं हमारी दोस्ती को नए आयाम देते है मगर जो सबसे जरूरी पहलू है कि तुम मुझमें एक अच्छा इंसान देखते हो और मैं भी तुममें कहीं अपनी परछाई देख पाता हूं। हमारी समझ की काबिलियत सिर्फ बातों पर निर्भर नहीं करती बल्कि उनसे कहीं परे उन एहसासों पर टिकी है जिसे महसूस कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती। वो एहसास और हमारे समझने की काबिलियत ही हमारी दोस्ती को नई ऊंचाइयां देती है। एक दूसरे के राज़ रखने, देखने और समझने की जो बात होती है वो कहीं ना कहीं रिश्तों को अलग पहचान देती है, और उसकी इज़्ज़त करना ही हमारे लिए दोस्ती के नए आयामों को बनाती है।

खैर ये सब तो बातें है जो हम हमेशा करते रहेगें, अपने रास्ते यूं ही चलते रहेंगे, समझते समझाते यूं ज़िन्दगी का कारवां चलता रहेगा। तुम्हारी या मेरी ज़िन्दगी यूं ऐसी तो नहीं की हर मुश्किल हर तूफ़ान से दूर रहे, पर अपनी लड़ने की क्षमता इन सब मुश्किलों से बहुत बड़ी है। तूफानों से लड़ने का भी अपना ही मज़ा है, और फिर वो कहते है ना कि "वो ज़िन्दगी ही क्या, जो काटों के दरमियान ना गुज़रे।" तो बस हम भी लड़ते रहेंगे और मुस्कुराते हुए बढ़ते रहेंगे और ज़िन्दगी को उसी के सवालों से ज़वाब देंगे। तुम भी ऊंचा उठते रहना, मैं भी आगे बढ़ते रहूंगा, बस बेफिक्र होकर पंखों को उड़ने देना, बाकी तो रुख़ हवाओं का अपनी मदद के लिए मोड़ ही लेंगे जब साथ आगे बढ़ते रहेंगे।

ये ज़िन्दगी एक सफ़र का नाम है तो उसके इस नाम को भी सफल करना है। एक रास्ता तो अपना मंजिलों की तरफ बढ़ता रहेगा, एक रास्ता हम मिल के खुद बनाएंगे और यूं कहूं तो दुढ़ेंगे। लम्हों के कई दायरे होते है बस ये साथ चलता रहा तो हर उन दायरों की खोज़ करेंगे, एक बंजारे कि तरह। सीधी सादी ज़िन्दगी तो यूं ही बेज़ार सी हो जाती है, लेकिन जो बंजारे होते है वो बस निकल पड़ते है जहां रास्ते ले जाते है, चांद तारे और सूरज ही उनके राहगीर होते है। उन लम्हों का अपना अलग ही अंदाज़ होता है और हर अंदाज़ में एक अलग सा खुमार होता है। उस ख़ुमारी को जीना भी एक मकसद होता है ज़िन्दगी का जो अलग राह लेकर ही ढूंढा जा सकता है। मौका दिया ज़िन्दगी ने तो ज़रूर इन राहों को भी कभी जिएंगे।

बातों का पिटारा तो बहुत है अपने पास वो तो बांटते रहेंगे, पर कभी कभी यूं खामोशियों को भी जीते रहेंगे, वो भी एक हिस्सा है हमारी राहों का। खामोशियां तुमसे बेहतर कौन ही जान सकता है। और इनकी एक ख़ास बात होती है कि हर कोई इन्हें समझ नहीं सकता। जब भी तुम ऐसा महसूस करो कि कोई मर्ज़ तुम्हें परेशान कर रहा है या कोई टीस कहीं चुभ सी रही हो तो याद रखना तुम्हारी हर राह के पीछे मैं खड़ा मिलूंगा जिस रूप जिस रंग में चाहोगे वही रंग रूप लिए मिलूंगा। भरोसा रखना बस की मुझमें इतनी काबिलियत तो है कि तुम्हारी मुश्किलों को अगर हल ना कर सका तो उन्हें बांट के कम जरूर कर सकता हूं। कैसी भी परिस्थिति आए बस एक नाम हमेशा याद रखना।

ये बात तो तुम बखूबी जानते हो कि तुम्हारी हसी से कई लोगों की खुशियां जुड़ी है, तो इसे हमेशा बनाए रखना अपने चेहरे पर। तुम कई मायनों में ख़ास हो और अपनी खासियत को कभी कम मत होने देना चाहे कोई भी वजह हो। तुम दुनिया की भीड़ से अलग हो और यही तुम्हारी एक अलग पहचान कायम करती है, इस पहचान को खोने मत देना। तुम्हारी खुदगर्ज़ी, सादापन, बेबाकपन, सच्चाइयां, अच्छाईयां, तुम्हारी समझ, तुम्हारा पाक सा दिल सब तुम्हें तुमसा बनाते है, इन सभी को अपने अंदर बनाए रखना। तुम्हारे आंखों कि गहराइयों में बहुत कुछ कहने और सुनने की काबिलियत है, इन आंखों की चमक ऐसे ही बनाए रखना। तुम्हारे आसपास कुछ लोग है जो तुम्हारी हर पहचान को तुमसे दूर नहीं होने देंगे, हमेशा तुम्हारे आसपास रहेंगे और तुम्हें कभी गिरने नहीं देंगे। उन लोगों को हमेशा अपने पहलू से बांध के रखना।

वैसे तो कहने को बहुत कुछ है पर ये सिलसिला यहीं तक बाकी फिर कभी अगली चिट्ठियों में। तब तक उस भगवान से तुम्हारे लिए दुआओं की एक अरदास कहूंगा, की तुम्हारे हर ग़म को कम कर दे और तुम्हारी खुशियों को हर लम्हें में शाद करता रहे। बाकी सभी पलों के लिए तो मैं हूं ही, तुम्हारे साथ तुम्हारे आसपास। ज़िन्दगी के दायरों मायनों और आयामों को हम ऐसे ही रोज़ कुछ बड़ा करते रहेंगे ताकि कभी कोई पूछे तो गर्व से के सकेंगे हमने सिर्फ दिन नहीं गुजारे ज़िन्दगी को बखूबी जिया भी है।

इन्हीं हसीन आशाओं और विश्वास के साथ।

Comments

Popular posts from this blog

परिकल्पना - सफ़र जिंदगी का

हम एक जीवन की कल्पना करते है फिर उस परिकल्पना में रंग भरते है कुछ छोटी कुछ बड़ी आशाएं, कुछ यादें, कुछ बातें, लम्हों कि सौगातें कुछ आकांक्षायें पहलू में समेट लेते है कुछ बस एक काश में ही सिमट जाते है कुछ जिरह, कुछ विरह, कुछ जद्दोजेहद सब मिल कर स्याह बनकर कोरे पन्नों पर कुछ लिखना चाहते है, किरदार सजते है, कुछ किस्से संवरते है कुछ दाग बनकर वहीं रह जाते है। हम खुशियां समेटते है सन्नाटे छाटते है चलते है, भागते है, हांफते है, थक कर दहलीज पर बैठ जाते है सांस लेने की कवायद करते है, लड़ते है एक उम्मीद लिए आसमां में तैरते है एक तिनका पकड़ते है चांद पर बैठ जाते है कभी बादलों से उलझकर गिर जाते है और सागर की गहराइयों में खो जाते है उस शून्य में रंग सारे सफेद हो जाते है पीछे बचती है एक लकीर काले स्याह रंग की, अंधकार समेटे जो जमीं को आसमां से जोड़ती है यादों की बारिश उस लकीर को सिंचती है कुछ टहनियों को जन्म देती है जो एक आखरी सफर को छाव देते है हम चलते जाते है, अकेले उस सफर पर और कल्पनाएं, जिनमें कुछ रंग भरे थे फूल बनकर बिखरते जाते है कांटे जो पावों में छुपे थे, चुभे थे

लंच बॉक्स

जब तुम टिफिन का डब्बा पैक करके मुझसे कहते हो घर जल्दी आना और फिर खुद ही वो टिफिन मेरे बैग के एक कोने में रख देती हो। भूल जाने की मेरी आदत पुरानी है, ये आदत भी तुम्हारी दी हुई है, भूलने के बाद तुम्हारी डांट खाना फिर तुम्हारे चेहरे पर वो फिक्र नजर आना नाराज़गी में छिपा तुम्हारा वो प्रेम मेरे मनाने पर तुम्हरा वो आंखें दिखाना मुझे भूल जाने पर मजबूर करती है। "सॉरी, कल से नहीं भूलूंगा" ये सुन कर तुम मुस्कुरा देती हो, तुम जानती हो कल फिर यही होगा कल मैं फिर कुछ भूलूंगा तुम फिर कल थोड़ा और प्यार शब्दों में कैद करके मुझपर आजाद कर दोगे। और ये सिलसिला यूंही दिन बा दिन चलता रहेगा उस दिन तक जब हम दोनों बैठे होंगे एक आराम कुर्सी पर जो हौले हौले ऊपर नीचे करेगी हमारी यादों की लहरों पर, और हम आंखें मूंदे देख रहे होंगे एक दूसरे को, लहरों पर नाचते हुए चलेंगे हाथ में हाथ थामे एक नए सफर पर दूसरे छोर तक। और वो टिफिन, किनारे पर फैली मखमली रेत पर पड़े एक संदूक के कोने में रखी होगी। इस इंतजार में कि फिर से कोई हम दोनों जैसा उस रेत पर एक आशियां बनाएगा, प्रेम का अंतरद्व

मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं

मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं आरज़ू नहीं, कोई आबरू नहीं चमक नहीं, मैं फलक भी नहीं, दिल नहीं, मुझमें जां भी नहीं, साया नहीं, कोई साथी नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। सुबह नहीं, अब शाम नहीं सच नहीं ना कोई जूठ नई दिन भी वहीं रातें वहीं सांस वहीं, पर बातें नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। आगाज़ नहीं, अंज़ाम नहीं मैं शब्द नहीं कोई आवाज़ नहीं, किस्से नहीं, कहानी नहीं किरदार वही पर राज़ नहीं मैं कुछ नहीं मैं कोई नहीं। मैं गंगा नहीं, यमुना भी नहीं, पाप वही, अब पुण्य नहीं तीर्थ नहीं, कोई धाम नहीं पर्वत वही, पर हिमालय नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। दुश्मन नहीं पर दोस्त वही, मैं फिज़ा नहीं, रूत भी नहीं, अपना नहीं, ना गैर सही मंज़िल वही मैं रस्ता नहीं मैं कुछ नहीं मैं कोई नहीं। मैं पूरब नहीं पश्चिम नहीं सूरज वही, मैं दिशा नहीं मैं मिला नहीं, भटका भी नहीं आदमी वही कोई मुखौटा नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। Like our page on Facebook Follow us on Instagram