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Showing posts from January, 2018

जीने कहां देती है

जीने कहां देती है! ख्वाहिशें एक तेरे संग जीने की एक तेरे बिन मर जाने की। सोने कहां देते हैं! ख्वाब एक तेरे पास आने का एक तुझसे दूर जाने का। रंगीन होने कहां देते है! रंग एक तुझमें भर जाने का एक तुझसे छीन लाने का। टूटती कहां है! उम्मीदें एक तेरे लौट आने की एक तुझे भूल जाने की। सुकून कहां आने देती हैं! यादें एक तेरे संग भीग जाने का एक तेरे बिन भीग जाने का। Like our page on Facebook Follow us on Instagram

एक चिट्ठी अज़ीज़ दोस्त के नाम

मेरे अज़ीज़ दोस्त, मेरे हमकदम, मेरे राजदां। कहते है कि खुदा ने अपनी कमी हर जगह पूरी करने के लिए रिश्तों को बनाया उन्हें हर रंग से सजाया, और इन सभी रिश्तों में दोस्ती को सबसे ख़ास बनाया, इतना ख़ास कि खुद भगवान भी इसे अपने सबसे करीब रखा, फिर चाहे वो राधा रानी हो या फिर सुदामा। खैर मैं अपने आप की तुलना भगवान से तो भूल कर भी नहीं कर सकता, लेकिन मेरे लिए भी दोस्ती का रंग रूप वही है जो उनके लिए था। इस पाक रिश्ते के मायने वही है, इनमें बसा प्यार और एहसास वही है जो भगवान ने राधा और सुदामा में देखा था। तुम सोच रहे होगे हम तो रोज़ ही मिलते और बातें करते है तो फिर ये चिट्ठी तुम्हारे नाम क्यों। चिट्ठियों का भी अपना एक अलग एहसास और मर्म है, जो शायद बातें भी बयां नहीं कर सकती, और फिर ये चिट्ठी हर उन पलों के लिए है जब शायद, शायद किसी वजह से मैं तुम्हारे पास नहीं पहुंच पाऊ, और हर उन पलों में जब तुम मुझे याद करना चाहो अपने पहलू में अपने अंदाज में। ये चिट्ठी हमारे एहसासों को हमारे अंदर हमेशा जिंदा रखेगा, उस उम्मीद को जिंदा रखेगा की तुम्हारे लिए एक रूह हमेशा तुम्हारे पीछे खड़ा है तुम्हें ऊंचा उठाए र