तू इश्क़ नहीं मेरा, मगर मुझे प्यार है तुझसे तू चांद नहीं मेरा, मगर मेरी रौशनी है तुझसे तू आसमां भी नहीं मेरा, मगर मेरी हर छाव है तुझसे बेसब्री लिए खोजती है तुझे निगाहें मगर सब्र है कि तेरी परछाई से हाल पूछ लेते है माना मयस्सर तू नहीं है मेरे हिस्से मगर तेरी बातों कि एक किताब सी बुन लेते है सागर से मिलने का एक शौक़ है मुझे मगर मैं वो दरिया नहीं जो लहरों में समा सके माना तेरे बज़्म-ए-हयात में एक लम्हा भर ही हूं मगर उन लम्हों में ही कुछ सदियों सा जी लेता हूं तुझसे मुझसे कुछ यादें जुड़ी है घड़ियों को शाद करती कुछ बातें जुड़ी है कहे अनकहे कुछ अल्फ़ाज़ बिखरे से है मगर वो कलम वो कागज़ नहीं जिनमें समेट सके इनको साज है आवाज़ है, मगर परवाज़ नहीं तू आइना है मेरा, मगर मेरा वजूद नहीं तुझसे तू आदत नहीं मेरी, मगर मेरी ज़रूरत है तुझसे तू इश्क़ नहीं मेरा, मगर मुझे प्यार है तुझसे। Like our page on Facebook Follow us on Instagram
खामोशियां वो शब्द है जो दिल के दायरों में छुपे होते है, इनकी अपनी आवाज़ नहीं होती। इन खामोशियों को आवाज़ हमारे अल्फ़ाज़ देते है। वो अल्फ़ाज़ जो जुबां पे तो नहीं आ पाते लेकिन दिल की कलम से पन्नों पर कैद हो जाते है। हमारे एहसास, जज़्बात और जिंदगी के छोटे बड़े लम्हें इनमें रंग भरते है और रूह बनके छलकते है, बिना इनके अल्फ़ाज़ बस शब्द बनके रह जाते है। खामोशियां अपने अपने दायरों में जीने वाले दो फराख़ दिलों के अनकहे, अनसुने और उलझे ख्यालातों को अल्फाजों में पिरोने की एक कोशिश है।