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Showing posts from March, 2021

तुम और मेरी सबसे अच्छी कविता

मैं तुम्हें अपनी सबसे अच्छी कविता के रूप में अपनी हाथ की रेखाओं पर इंकित करना चाहता हूं, वो जो कल्पनाओं से भी परे हो जिसे आज तक किसी ने भी नहीं गढ़ा हो एक ऐसा काव्य जो संवेदनाओं और संभावनाओं से तुम्हारे और मेरे बीच बंधी प्रेम की डोर को सींचती हो, उनकी जड़ों को गहराई देती हो। वो कविता जो मेरे अधूरे ख्वाबों को तुम्हारे ख्वाबों से बांध कर उन्हें संपूर्णता का बोध देती हो। जो मेरे प्रतिबिंब को तुम्हारे बिंब से जोड़ कर एक आकाश को जन्म देगी, जो हम दोनों को आशियां देगा जहां आशा, उम्मीद और विश्वास की ईटो को एक एक कर जोड़ते जायेंगे हम एक घर बनायेंगे तुम्हारी हंसी से उसमें रंग भर जायेंगे, चटक रंग! जिससे रंगने पर हर एक दीवार गुनगुनाएगी वही कविता जो मैं लिखता रहूंगा रोज थोड़ा थोड़ा, तुम्हारी हथेलियों पर जहां खनक रहे होंगे कंगन तुम्हें देखते हुए। तुम्हारी कोरी पीठ पर अपनी उंगलियों से एक एक शब्द कुरेदते हुए। तुम्हारे पांवों पर जहां पाजेब छनकते हुए उन्हें सुरों से बांध रहे होंगे। तुम्हारे माथे पर अपने होठों से जहां मेरे पूरे जीवन का होगा सार, एक बिंदु पर के