Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2017

मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं

मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं आरज़ू नहीं, कोई आबरू नहीं चमक नहीं, मैं फलक भी नहीं, दिल नहीं, मुझमें जां भी नहीं, साया नहीं, कोई साथी नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। सुबह नहीं, अब शाम नहीं सच नहीं ना कोई जूठ नई दिन भी वहीं रातें वहीं सांस वहीं, पर बातें नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। आगाज़ नहीं, अंज़ाम नहीं मैं शब्द नहीं कोई आवाज़ नहीं, किस्से नहीं, कहानी नहीं किरदार वही पर राज़ नहीं मैं कुछ नहीं मैं कोई नहीं। मैं गंगा नहीं, यमुना भी नहीं, पाप वही, अब पुण्य नहीं तीर्थ नहीं, कोई धाम नहीं पर्वत वही, पर हिमालय नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। दुश्मन नहीं पर दोस्त वही, मैं फिज़ा नहीं, रूत भी नहीं, अपना नहीं, ना गैर सही मंज़िल वही मैं रस्ता नहीं मैं कुछ नहीं मैं कोई नहीं। मैं पूरब नहीं पश्चिम नहीं सूरज वही, मैं दिशा नहीं मैं मिला नहीं, भटका भी नहीं आदमी वही कोई मुखौटा नहीं मैं कुछ नहीं, मैं कोई नहीं। Like our page on Facebook Follow us on Instagram

नींव और रिश्तों के मायने

नींव क्या है? इसका वजूद क्या है? क्या महत्व है इसका? इसका अपने जीवन में क्या मायने है? देखने में तो बहुत ही छोटी चीज़ लगती है लेकिन जितनी छोटी है उतनी ही ज़रूरी भी है। इस नींव के बहुत रूप है, और सबके अपने अपने नजरिए है इसे देखने के, हमने भी एक छोटी से कोशिश की है इसे समझने की और इसे एक अपना रूप देने की। एक घर की मज़बूती उसकी नींव ही तय करती है, बिना एक मज़बूत नींव के एक सुदृढ़ घर की कल्पना करना ही बेकार है। एक बड़ी इमारत के बनने में सबसे ज्यादा वक़्त उसकी नींव तैयार करने में लगता है क्यूंकि बिना एक मजबूत नींव के इमारत खड़ी होना ही नामुमकिन है और अगर किसी तरह खड़ी भी हो गई तो आज नहीं तो कल उसका गिरना तय ही है। ठीक इसी तरह एक मजबूत रिश्ते के लिए उतनी ही मजबूत नींव की ज़रूरत होती है। कैसा भी रिश्ता हो अगर उसकी बुनियाद खोखली और नींव कमज़ोर है तो वो कभी एक सुनहरी सुबह नहीं देख पाती। ऐसे रिश्ते बस पूस के बादल की तरह होते है, दिखावटी, बिना पानी की एक भी बूंद के, बस वहां होने भर का एहसास कराती है लेकिन उनके पास देने को कुछ नहीं होता। रिश्ता चाहे प्यार का हो, दोस्ती का हो, भाई बहन का हो, मा

उम्मीद की, हौसलों की उड़ान

उड़ने दो मुझे, ये मेरी उड़ान है दस्तक देते पल नए ये मेरे आने वाले कल की सौगात है उम्मीद की ये मेरे हौसले की उड़ान है रोको नहीं कदमों को बढ़ने दो टोको नहीं अरमानों को बढ़ने दो सपनों ने अभी बस आंखे ही खोली है इनके पंखों को भी उड़ान भरने दो जरूरी नहीं हम दुनिया के बने बनाए आदर्शों पर ही चले हमें भी अपनी राह चुनने दो अभी से हमें बड़ा ना करो थोड़ा बचपन हममें अभी रहने दो इस भीड़ में एक दिन तो सबको खोना ही है अभी थोड़ा शोर को जीने दो छोटी छोटी मस्तियां और शरारतों कि ये मेरे लम्हों की यादों की उड़ान है उम्मीद की ये मेरे हौसलों की उड़ान है लपक सितारे ले आएंगे हम चांद पर भी हो आएंगे वक़्त की मशीन बना हम ब्रह्मांड के कोनों को भी नाप आएंगे बस हमारी सोच को साथ हमारे बढ़ने, मचलने और खेलने दो इसे भी साथ हमारे चलने दो। दुनिया में एब बहुत है तरक्की की राहें भी कम नहीं है मत बढ़ाओ हमें भी उन राहों पे बस एक अच्छा इंसान बनने दो। राह अपने आप बन जाएंगे जब कदम नहीं डगमगाएंगे हिमालय की चोटी पर जाकर अपना परचम हम लहराएंगे बस मेरे भी एहसासों को कुछ रंग नए भरने दो। गिरकर उठना

प्रिय पाठकों के नाम एक पत्र।

प्रिय पाठकगण, हमारा सप्रेम नमस्कार। आशा करते है आप सब सकुशल और मंगल होंगे और अपनी अपनी जिंदगीओं के धूप छांव तथा हर प्रकार के लम्हों को सराहनीय तरीके से व्यतीत कर रहे होंगे। यूं तो आजकल पत्रों का चलन नहीं रहा पर एक वक़्त था जब ये पत्र चिट्ठी ख़त और जाने किन किन नामों से बुलाए जाने वाले कागज़ के टुकड़े हमारे एहसासों, सवालातों, ख्यालातों, जज़्बातों और दिल में छुपी अनकही अनसुनी बातों को एक अल्फ़ाज़ देते थे, इन्हें एक आवाज़ देते थे एक जरिया थे इनको अपने मुकाम तक पहुंचाने का। हम भी इन्हीं उम्मीदों के साथ एक पत्र आप सबके नाम साझा कर रहे है। एक कोशिश कर रहे है अपनी खामोशियों को एक आवाज़ की शक्ल देकर आप तक पहुंचाने की। खामोशियों की भी अपनी अलग दुनिया है अपनी अलग विडंबना है। खामोशियां वो शब्द है जो दिल के दायरों में छुपे होते है, इनकी अपनी आवाज़ नहीं होती। इन खामोशियों को आवाज़ हमारे अल्फ़ाज़ देते है, इन्हें अपनी पहचान देते है। वो अल्फ़ाज़ जो जुबां पे तो नहीं आ पाते लेकिन दिल की कलम से पन्नों पर कैद हो जाते है। हमारे एहसास, जज़्बात और जिंदगी के छोटे बड़े, हस्ते रोते लम्हें इनमें रंग भरते ह

दो दिल एक कहानी

मुझमें और तुममें काबिलियत है एक बहुत ख़ास दोस्त बनने की एक ऐसा दोस्त जो सिर्फ अपने नाम से नहीं, बल्कि एक दूसरे के नाम से पहचाने जाते है एक ऐसा दोस्त जो जिंदगी के हर धूप छांव में साथ खड़े रहते है हर तूफ़ान में भी चट्टान से डटे रहते है एक ऐसा हमकदम जो एकांत की उदासिओं को दोस्ती की चमक से रोशन कर देते है एक ऐसा साथी जो खुद भी ऊंचा उठता है और दूसरे का नाम भी फलक के दायरों में लिखता है। हां हममें काबिलियत है एक अदद दोस्त बनने की पर ये काबिलियत यूं ही नहीं है ये शायद तुम भी जानते हो। हमारे नाम अलग है पर सोच वही है बातें अलग है पर किस्से वही है हमारे जिस्म अलग है पर उनमें बसी रूह की तासीर वही है हमारी मंजिलें अलग है पर रास्ता वही कारवां भी वही है दिलों कि धड़कने अलग है पर उनके दायरों में बिखरी यादें वही है हम ख्वाबिदा नहीं है, पर ख्वाब एक से देखते है। राजदां भी नहीं है, मगर राज़ एक से रखते है। हममें काबिलियत है एक दूसरे को ऊंचा उठाने की अपनी मंजिलों को पास लाने की क्यूंकि हमारे बीच दिल, रूह और हस्ती को तोड़ने वाली इश्क़ की दीवार नहीं है हमारे बीच इकरार न

अब तुमसे विदा लेता हूं

चलो तुम्हें आज़ाद करता हूं अपनी इस तन्हा जिंदगी से यूं तो तुम मेरे हुए नहीं कभी फिर भी जो ये एहसास कभी तुम्हारे नाम के थे आज इनसे विदा लेता हूं ये जो तुम्हारी बातें थीं जो कभी मेरे दिनों को यूं गुलज़ार करती थी तुम्हारी आहटें जो मुझे बेचैन कर देती थी कभी वो रूबरू होना तुमसे वो तुम्हारी यादों के साथ शाम से सहर होना तुम्हारे ही ख्वाबों के साथ हर रात हर राज़ बाटना अब इन सबसे भी विदा लेता हूं विदा लेता हूं कि अब लौट के वापस इन बायाबानो में फिर कदम नहीं लाऊंगा राब्ता तेरे नाम से जहां भी मैं पहचाना जाता था उन रास्तों से भी अब विदा लेता हूं चलता हूं कि हो सके तो याद रखना कभी तुम्हारी राहें बनाई थी कांटों को झेल कभी तुम्हें कलियों सा सजाया था तुम्हारी जिन्दगी तो नहीं बन सका पर याद रखना कि कम से कम एक ज़रिया भर ही था तुम्हारी तन्हाइयों, तुम्हारी ऊचाईयों का वक़्त बेवक्त वो दस्तक देती तुम्हारी हर बेचैनियों का। चलता हूं कि नए रास्ते अब पुकार रहे है जीने की जो थोड़ी लालसा दिल में दबी बची है वो आवाज़ दे बुला रहे है वो छोटे छोटे वक़्त के लम्हें जिनसे बुना उधरा