चलो तुम्हें आज़ाद करता हूं
अपनी इस तन्हा जिंदगी से
यूं तो तुम मेरे हुए नहीं कभी
फिर भी जो ये एहसास
कभी तुम्हारे नाम के थे
आज इनसे विदा लेता हूं
ये जो तुम्हारी बातें थीं
जो कभी मेरे दिनों को
यूं गुलज़ार करती थी
तुम्हारी आहटें जो मुझे
बेचैन कर देती थी कभी
वो रूबरू होना तुमसे
वो तुम्हारी यादों के साथ
शाम से सहर होना
तुम्हारे ही ख्वाबों के साथ
हर रात हर राज़ बाटना
अब इन सबसे भी विदा लेता हूं
विदा लेता हूं कि अब लौट के
वापस इन बायाबानो में
फिर कदम नहीं लाऊंगा
राब्ता तेरे नाम से जहां भी
मैं पहचाना जाता था
उन रास्तों से भी अब विदा लेता हूं
चलता हूं
कि हो सके तो याद रखना
कभी तुम्हारी राहें बनाई थी
कांटों को झेल कभी
तुम्हें कलियों सा सजाया था
तुम्हारी जिन्दगी तो नहीं बन सका
पर याद रखना कि कम से कम
एक ज़रिया भर ही था
तुम्हारी तन्हाइयों, तुम्हारी ऊचाईयों का
वक़्त बेवक्त वो दस्तक देती
तुम्हारी हर बेचैनियों का।
चलता हूं
कि नए रास्ते अब पुकार रहे है
जीने की जो थोड़ी लालसा
दिल में दबी बची है
वो आवाज़ दे बुला रहे है
वो छोटे छोटे वक़्त के लम्हें
जिनसे बुना उधरा हुआ
एक आदमी भर हूं
उन लम्हों और उस आदमी के लिए
अब तुमसे विदा ले रहा हूं
तुम्हें आज़ाद कर आज
खुद को भी आबाद कर रहा हूं
चलता हूं
कि ज़िन्दगी काफ़ी मयस्सर है अभी
तुम अपनी जगह खुश रहना
मैं निशां अपने कदमों से बनाऊंगा
किस्से कहानियां, नई बेतबियां
नए किरदार और उनकी
कुछ नई पुरानी बातें
कदम नए रास्तों पे तभी बढ़ पाएंगे
जब तुम्हारी यादों से विदा ले पाऊंगा
इसलिए अब मैं विदा लेता हूं
तुमसे, तुम्हारी बातों से
और बेबस करती
तुम्हारी उन यादों से।
अपनी इस तन्हा जिंदगी से
यूं तो तुम मेरे हुए नहीं कभी
फिर भी जो ये एहसास
कभी तुम्हारे नाम के थे
आज इनसे विदा लेता हूं
ये जो तुम्हारी बातें थीं
जो कभी मेरे दिनों को
यूं गुलज़ार करती थी
तुम्हारी आहटें जो मुझे
बेचैन कर देती थी कभी
वो रूबरू होना तुमसे
वो तुम्हारी यादों के साथ
शाम से सहर होना
तुम्हारे ही ख्वाबों के साथ
हर रात हर राज़ बाटना
अब इन सबसे भी विदा लेता हूं
विदा लेता हूं कि अब लौट के
वापस इन बायाबानो में
फिर कदम नहीं लाऊंगा
राब्ता तेरे नाम से जहां भी
मैं पहचाना जाता था
उन रास्तों से भी अब विदा लेता हूं
चलता हूं
कि हो सके तो याद रखना
कभी तुम्हारी राहें बनाई थी
कांटों को झेल कभी
तुम्हें कलियों सा सजाया था
तुम्हारी जिन्दगी तो नहीं बन सका
पर याद रखना कि कम से कम
एक ज़रिया भर ही था
तुम्हारी तन्हाइयों, तुम्हारी ऊचाईयों का
वक़्त बेवक्त वो दस्तक देती
तुम्हारी हर बेचैनियों का।
चलता हूं
कि नए रास्ते अब पुकार रहे है
जीने की जो थोड़ी लालसा
दिल में दबी बची है
वो आवाज़ दे बुला रहे है
वो छोटे छोटे वक़्त के लम्हें
जिनसे बुना उधरा हुआ
एक आदमी भर हूं
उन लम्हों और उस आदमी के लिए
अब तुमसे विदा ले रहा हूं
तुम्हें आज़ाद कर आज
खुद को भी आबाद कर रहा हूं
चलता हूं
कि ज़िन्दगी काफ़ी मयस्सर है अभी
तुम अपनी जगह खुश रहना
मैं निशां अपने कदमों से बनाऊंगा
किस्से कहानियां, नई बेतबियां
नए किरदार और उनकी
कुछ नई पुरानी बातें
कदम नए रास्तों पे तभी बढ़ पाएंगे
जब तुम्हारी यादों से विदा ले पाऊंगा
इसलिए अब मैं विदा लेता हूं
तुमसे, तुम्हारी बातों से
और बेबस करती
तुम्हारी उन यादों से।
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